गुरु – चेले : क़िस्सा एक बचपन के दौर का

कक्षा का पहला पीरियड और गुरु जी आते ही “मैं थोड़ी देर में आता हूं सबको चुप करा कर रखना और जो ज्यादा 3 – 5 करें मुझे बताना” मॉनिटर को कह कर निकल गए.

अपन हवा में कि पीरियड तो गेम्स बराबर हो गया बाकी मॉनिटर अपना दोस्त फ़िर क्या कक्षा में फ्लाइंग प्लेन एंड बैग्स, कभी चौक उठा कर बामण के मारना या कभी हुल्लु लुल्लू, हुल्लु लुल्लू करना ये क़रीब 15 मिनट तक चला इतने में गुरु जी प्रकट!!

हां कौन कौन शोर मचा रहा था ?

सर ये एडमिन

इधर आ “गुरु जी ने तुरंत प्रभाव से एडमिन को भूमि पर लेटाया और प्रेम पूर्वक 4 – 5 तस्सली बक्श लाते कमर से नीचे बरसाई की अंग अंग में खून की गति तीव्र हो गयी”

अपन कपड़े झाड़कर लंगड़ाते हुए सिंघासन पर जाकर विराजमान हो गए

बंधू एक वो दौर था जब घर वाले गुरु जी से कहते. ‘जी इसके मारते क्यों नहीं”

एक आज का दौर है जब घर वाले कहते है “जी आपने इसके मारा क्यों ??”

भाई आज गुरु-चेले लुप्त हो गए बस बचे है तो टीचर – स्टूडेंट

राम राम

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