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हल्के में भारी : अरब – इस्राइल 6 दिन युद्ध

हल्के में भारी : अरब – इस्राइल 6 दिन युद्ध

तुम हो क्या…तुम्हारी औकात क्या है….तुम्हारी पहचान क्या है…तुम्हे जानता कौन है…तुम्हे में बताता हूँ???

ॐ शांति शांति शांति  

आधी रात कमांडर को इमरजेंसी फ़ोन आया जिसमे दूसरी तरफ़ से कुछ सेकंड तक आवाज़ आई बात ख़तम कर कमांडर ने फ़ोन उठा दीवार पर दे मारा. सिगरेट जलाई और अलमारी से वर्दी निकाल काफ़िले के साथ निकलने लगा.

हर तरफ़ अफरा तफरी का माहौल चरम पर है ये घटना ऐसी है जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की. सभी मित्र देशों को घटना सूचित की गयी जिस चीज का सबसे ज्यादा गुरूर था वो अभी जल रही थी. मिस्त्र के सभी फाइटर जेट हेंगर में खड़े खड़े ही धुआ धुआ थे. इस्राइल को हमले की जानकारी पहले ही हो गयी थी तो उन्होंने पहले ही बहारो फूल बरसा दिए.

अगले 5 दिन अरब की सेनाए जमीनी युद्ध अपने पूर्ण पराक्रम से लड़ी ऐसा उनकी सेना को लगा. मगर दूसरी तरफ़ इस्राइल की फ़ौज ने तस्सली बक्श तरीकें से अरब सेनाओ को धोया. आलम ये था की इस्राइल के 1000 सैनिक अल्लाह को प्यारे हुए मगर अरब सेना के 20000 सैनिक जन्नत की हूरो से मिलने चले गए.

6 दिन बाद अरबी सेनाओ ने सफ़ेद झंडे दिखा दिए और मिस्त्र ने कहा “ये इस्राइल है….हम इन्हें जानते है ….ये एक राष्ट्र है…..और ये हमे बता सकता है”

इन शोर्ट: कभी कभी हलके में लिया भारी पड़ जाता है.

राम राम

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