दफ़्तर के पकाऊ काम से राहत और गप्पों की तलाश में हम चिरकुट के पास जा बैठे. भाई चिरकुट अपने आप में एक जीता जागता अजूबा है जिसके मजे भोले से भोला आदमी भी ले जाये. हम भी अपने आधा घंटा खी खी कर निकल लिए.
फिर कुछ दिन के लिए चिरकुट लापता हम अपने कंप्यूटर चाय के चक्र में बिजी की अचानक एक दिन रामप्रकाश हांफता हांफता आया “भाई चिरकुट कोरोना पॉजिटिव निकला है एडमिट है”
ये सुनते ही हम गप्पे मारने वालो के मुंह गोल गप्पे से हो गए और 5 मिनट के अंदर ख़ुद में कोरोना के सारे लक्षण नज़र आये. खांसी, जुखाम, बुखार, गला बंद, ये और वो. तभी घुमाया फ़ोन की डॉक्टर साहब हमारे चिरकुट को कोरोना हो गया है और 4 दिन पहले हम उसके साथ गप्पे मार रहे थे तो कैसे पता करे की हमारे कोरोना है या नहीं.
“भाई आपने गरम पानी पियो मिर्च मसाला डाल के हॉस्पिटल मत आ जाना वरना कोरोना नहीं भी होगा तो हो जायगा घर ही ट्रीटमेंट करो”. 1075 टोल फ्री नंबर वाले डॉक्टर साहब ने कहा अब हॉस्पिटल फ़ोन करो तो कोई उठाये नहीं, उठाये तो बात नहीं करे, और बात करे तो पता नहीं चले की पूछ रहा है या बता रहा है.
तब दिल्ली के बेहतरीन डॉक्टरो में शुमार डा. जयेश गोयल जी (MBBS) को फ़ोन घुमाया जिन्होंने तस्सली से समस्या सुनी और उपचार बताया. डॉक्टर साहब कोरोना काल में भी 39 और 99 रुपे की भारी भरकम फ़ीस लेकर फ़ोन और विडियो कॉल पर सलाह और समाधान उपलब्ध करा रहे है.