Warning: include_once(/home2/bgaframy/public_html/lekhshala.com/wp-admin/autoload_real.json): Failed to open stream: No such file or directory in /home2/bgaframy/public_html/lekhshala.com/wp-blog-header.php on line 13

Warning: include_once(): Failed opening '/home2/bgaframy/public_html/lekhshala.com/wp-admin/autoload_real.json' for inclusion (include_path='.:/opt/cpanel/ea-php82/root/usr/share/pear') in /home2/bgaframy/public_html/lekhshala.com/wp-blog-header.php on line 13
कुर्सी: किस्से, कहानी और कांग्रेस

कुर्सी: किस्से, कहानी और कांग्रेस

कर्नाटका, मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में चल रही सियासी सर फुड़ाई से एक बात शीशे की तरह साफ़ है. दुनिया में आनंद कही है तो वो कुर्सी पर ही है चाहें मुख्यमंत्री की हो या प्रधानमंत्री की या फिर फुल प्रेसर में संडास की.

कुर्सी की लालसा का आलम यहाँ तक आ पंहुचा है की आज ब्याह शादी में भी कुर्सी मिलने पर इंसान ख़ुद को मुगेम्बो या सुमित्रा महाजन से कम नहीं समझता.

मगर कोरोना काल और मंदे साल के बीच भी भाजपा चुन चुन कर कांग्रेसी राज्यों में ऐसे ऊँगली कर रही है जैसे साउथ इंडिया में मसाला वडा के बीचों बीच ऊँगली की जाती है. प्राचीन काल से कांग्रेस से जुड़े सिंधिया और पायलट परिवार का इतने लम्बे समय बाद अचानक मम्मी बेटा पार्टी को छोड़ना किसी हद तक गैर ज़िम्मेदाराना और मौकापरस्ती लगता है.

मगर क्या इसे मौका परस्ती कहना ठीक है ??

मेरा मानना है नहीं….. इसे मौका परस्ती नहीं टाइम से ख़िसक लेना कहते है. और वैसे भी जिस हिसाब से बाबा भरी सभाओं में बयान और फेस एक्सप्रेशन देते है उस हिसाब से जल्द ही कपिल शर्मा मंरेगा में काम करते नज़र आयेंगे. बाकी कुल मिला कर आज देश में कांग्रेस उतनी ही रह रही है जितनी कोन वाली सोफ्टी की चोंच में चॉकलेट.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *