ग्लोबल भईया: ग्लोबल टाइम्स की ख़बरों का विश्लेषण

कुछ महीनों पहले परसों तक पर न्यूज़ देखतें हुए सुना की ग्लोबल टाइम्स ने भारत को धामकी दी है की यदि भारतीय सेना हमारी ज़मीन हड़पने की कोशिश करती है तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे. अपन ने तभी गूगल मैप्स खोला और ढूँढने लगा ये ग्लोबल टाइम्स कौन सा देश है और भारत इनकी ज़मीन क्यों हड़पना चाहता है. तब पता लगा की ये तो चाइना का नेशनल न्यूज़ चैनल है जिसमे चिपकी ख़बर उनकी सरकार का स्टैंड होती है.

अब इनके न्यूज़ आर्टिकल भी लेख्शाला की तरह ख़ास घुमा फिरा के कोई बात नहीं करते जो बात है साफ़ साफ़ 200 -250 शब्दों मे समाप्त. तब से ही अपन ग्लोबल टाइम्स जी ख़बरों को ठीक वैसे ज़ूम कर कर देख रहे है जैसे सरकारी आदमी अपनी सैलरी स्लिप देखता है.

आज से 2 महीने पहले तक ग्लोबल टाइम्स भारत और भारत के मुद्दों को इतनी ही एहमियत देता था जितनी देश राहुल बाबा के बयानों को देता है. मगर गल्ग्वान घाटी की घटना के बाद जो भारत सरकार ने चाइना पालिसी पर लठ बरसाए है ये चाइना के लिए ठीक वैसा साबित हुआ जैसे सर मुंडाते ही ओले पड़ना.

आज आलम ये है की अगर मोदी जी जंगल पानी भी जाये तो ग्लोबल टाइम्स यही लिखेगा

“amid the recent stand-off between the two nations, following a fatal border clash. It is a stupid choice which will backfire and hurt global industrial chains” या the scenario will not last long due to India’s huge economic costs.

 कुल मिला के बात ये है की भारत की एंटी चाइना पालिसी से ये ग्लोबल भईया इतनी बुरी तरह बौखला गए है जैसे lock down की वजह से कॉलेज के आशिक नवयुवक.

राम राम

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