प्रेम: 90 के दशक का प्रेम और हालात

मित्रों आज प्रेम के विषय में ज्ञान वितरण होगा इस प्रेम का माँ – बाप, भाई, बहन के बीच आपसी प्रेम से कोई लेना देना नहीं है.

प्रेम के मामलें में आज के 5G दौर से अच्छा वो Parle G का दौर था जंहा प्रेम असल में घटित होता. 90 के दशक में जब हम लोग बालक से बलवान हो रहे थे तब स्कूल की चारदीवारी या मोहोल्ले की गलियों में प्रेम की पवन लहरती . ये वो दौर था जब नाम पता करने में हफ़्ता, घर पता करने में महिना और “आप मुझसे फ्रेंडशिप करोगी” पता करने में जीवन लग जाता था.

क्लास में लड़के – लड़कियों की अलग अलग कतारे जिसमे अपन जैसे कबाड़ी को सजा के तौर पर लड़कियों की लाइन में बिठाया जाता तब भाई शर्म तो बहुत आती पर इमान से पेट में गुद गुदी भी होती. नोटबुक मांगने की रिहर्सल कई हफ्तों चलती फिर जाकर एक दिन पूछना हो पाता “ऐ सुषमा हिंदी की कापी दे दे” लड़की के आगे नंबर बनाने के लिए साइकिल तेज चलाना, माथे पर बेंड ऐड चिपकाना, बिना हाथ पीछे सरकाए गुरु जी से डंडे खाना या फ़िर लाइट वाले जूते क्या कुछ हथियार इस्तेमाल नहीं होते थे.

एक आज का टाइम है 5 मिनट में नाम, घर, पता, बाप का नाम, बाप का काम सब दो ऊँगली फ़ोन पर मारने से पता लग जाता है. 15 साल के बालक 5 ब्रेकअप करवा कर बैठे है. Facebook – Whatsapp पर ऐसे स्टेटस लटका रहे है जैसे हीर – राँझा, लैला – मजनूं, रोमियो – जूलियट के बाद इन्ही के दिल टूटे है.

राम राम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *