आदत: रोने हँसने की फ़ितरत

सुख दुःख मौज तकलीफ़ तक़रीबन सभी की ज़िन्दगी का घोर हिस्सा है. और सबकी अपने अपने लेवल की तकलीफे है. चाहें वो सड़क किनारें फ्राइड मोमोस बेचता चिंग चोंग हो या प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठे हमारे प्रधान सेवक जी या फिर स्वयं अपने पेट पर लैपटॉप रखकर पोस्ट लिखता एडमिन.

मगर एक चीज जो मैंने अपनी इस घिसी पिटी ज़िन्दगी में देखी और महसूस की है वो ये की हमारा उस तकलीफ़ को हैंडल करने का तरीका.

भाई पेपर दिखा दे फेल हो जाऊंगा…!!!

भाई तेरी कसम मुझे ख़ुद नहीं आता…. और आये अगले के 80 %

और तैयारी है …???

अरे बस तू देख तेरा भाई टॉप करेगा…. अगली बार भाई ने साथ रिअपीयर का पेपर दिया.

चल पार्टी दे दे टॉप कर गया …. !!!

भाई कहा है पैसे पैसे नहीं है….

भाई तेरी तो 4 में रिअपीयर है

चलो आज तुम्हारा भाई दुःख में पार्टी देगा …!!!

ये वैसे तो बड़े लाइट मूड के उदहारण है जो की गंभीर से गंभीर समस्या पर भी लागू होते है. तो बंधू कथा ये है की ज़िन्दगी के स्वाद लेने वाले चाहें कितनी ही फ्लावर हो उसमे भी हँसते हुए हर हालात का सामना करते है. और भाई रोने वाले चाहें कितने ही अच्छे हालात हो उसमे परेशान होने का कारण ढूँढ ढूँढ के परेशान होते है.

भगवान् सबको चिल बक्शे

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