ध्याड़ी: सामाजिक अवधारणाओं पर एक वास्तविक घटना

एक ध्याड़ी मजदूर अपनी 3 दिन की आमदनी कमा रास्ते से जा रहा था. शाम का समय सूरज तकरीबन तकरीबन वापसी की कगार पर की एकाएक एक महिला उस मजदूर के सामने पड़ती है

“जितने पैसे है मुझे दे दे वरना अभी चिलाती हूँ की  मुझे छेड़ रहा है..!!”

पैसे 3 दिन की कड़ी मेहनत के थे तो मजदूर ने विरोध किया और वैसा ही हुआ जैसी उम्मीद थी महिला चिल्लाने लगी की मेरे पैसे छीन लिए मुझे छेड़ा” ये सुनते ही आस पास मौजूद समाज के ठेकेदार इकठा हो गए और एक दूकान वाले सुपरमैन ने मजदूर से पैसे छीन उस महिला को दे दिए और उसे पीट कर भगा दिया.

कुछ देर में सुपरमैन की दुकान पर पुलिस और वो मजदूर आया

“हां पटवारी पैसे क्यों छीने इसके” पुलिस ने कहा

“उस औरत के पैसे थे जी वो रोते हुए कह रही थी” सुपरमैन ने कहा

“चल थाने में बात करते है किसके थे कितने थे” पुलिस ने कहा

“जी मैंने तो गरीब औरत की मदद की थी” सुपरमैन ने कहा

“जज साहब थाने चलो वंहा पता करेंगे किसकी मदद की है” पुलिस ने कहा

कथा का सार ये निकला की सुपरमैन से 4000 रुपे मजदूर को दिलाये गए और आगे से मंत्री ना बनने की सलाह दी गयी.

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