मरोड़: क़िस्सा अपनापन मिटती अकड़ का

दफ़्तर में साथ काम करते हुए हम अच्छे दोस्त हो गए साथ चाय पीना, बाजारों में भटकना और कभी कभी इतवार को साथ मूवी भी.

तो घटना ये हुई की लाड़ लाड़ में मैंने भाई की गुद्दी पर प्यार से चट्टू मारा मगर वो मिस कैलकुलेट होकर सम्भावना ये तीव्र लग गया जिसके कारण वातावरण में चट की ध्वनि उत्पन्न हुई. अब फूटी किस्मत ऐसी की ठीक उस समय बहुत सी कन्याय उस घटना की शाक्षी बनी जिसने आग में घी का काम किया.

Prem: I am telling “Don’t talk me”

अपन: सोरी भाई सोरी

Prem: Seriously Stay away from me.

अब ये बात सुन के अपन थोड़ा क्रोधित टाइप हो गए ( भाई ऐसी तैसी करा अपनी मन ही मन) और अपन वहा से निकल लिए.

उस दिन के बाद तकरीबन हम ऱोज दिन में कई कई बार आमने सामने पड़ते मगर अनदेखा कर निकल लेते और ऐसा 2 साल तक चलता रहा.

दफ़्तर में वो मेरा आखरी दिन था और मैं दोस्तों को राम राम करता घूम रहा था. मैं कमरे में गया वहा प्रेम बैठा था. अपन दबे पाँव वापिस और दुसरे रूम में जाने लगे फ़िर एकाएक क़दम ठहर गए और मैं वापिस प्रेम के कमरे में.

अपन: “Prem.. today I am leaving Yaar just want to say you good bye and best of everything”

Prem: Hey Thanks Man congratulations…!!!

तक़रीबन 2 साल बाद हमारी बात हुई और उस दिन हमने क़रीब 4 घंटे लगातार गप्पे मारे और रात को साथ खाना भी खाया ठीक वैसे कुछ हुआ ही ना हो जैसे.

थोड़ी सी मरोड़ ने 2 साल तक एक अच्छे दोस्त से वंचित रखा… कोई नहीं चलता है ज़िन्दगी है…इंसान ग़लती से ही सीखता है….कुछ अपने जैसे डांगर नहीं भी सीखते है.

राम राम

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