बदमास: एक क़िस्सा गुस्से का

कुछ ऱोज पहले शाम के क़रीब 7 बजे मैं दोस्त के साथ दफ़्तर से लौट रहा था की अचानक एक हादसा होता है.

हाइट तकरीबन 5 फुट 2 इंच या फ़िर 3 इंच वजन 50 किलो के आस पास ऐसे भीमकाय ढ़ाचे वाला एक प्राणी एक दम गाड़ी के सामने आया और बोनट पर तेज तेज मुक्के मारने लगा.

तुम जानते नहीं हो मैं कौन हूँ.

यहाँ का बदमाश हूँ बदमाश

ये मेरा इलाका है मेरी इजाजत लो यहाँ से जाने से पहले

उसकी हरकतों से पता लग रहा था की दवाई पान के बाद अभी वो स्वर्ग लोक की यात्रा पर है.

भोपू मारने पर भी वो भीमसेन हट नहीं रहा और गाड़ी के सामने खड़ा रहा. अब मेरा दोस्त जो 6 फुट और वजन शतक के आस पास है गुस्से से गाड़ी से बहार निकलने लगा.

ओं भाई तू रुक जा … मैं देखता हूँ रुक. मैंने कहा

मैं उतरा और भीमसेन से रिक्वेस्ट करने लगा दोस्त आज आज जाने दे कल से तेरी इज़ाजत लेंगे जाने से पहले जिसके बाद मैं बडबडाते भीमसेन को सड़क के बगल में बनी पट्टी पर बिठाकर आया.

“अरे मारता साले के एक में पसर जाता रिक्वेस्ट कर रहा है” दोस्त ने कहा

भाई पहले मेरे भी तेरे जैसे क्रांतिकारी विचार थे फिर एक दिन “छोरे गुस्सा पीना सीख ले ना तो यो गुस्सा तेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर सके है या दुनिया सिर होती हांडे है बचाए राख़ ख़ुद न” ये बात मुझे किसी पुलिस वाले ने कही थी बस वो दिन है और आज का दिन है अपन कूल और चिल्ल ही रहते है अगर कोई ज्यादा ऊँगली ना करे तो.

और तू भी और आप सब भी भाई गुस्सा पी जाओ…..ये ज़िन्दगी ख़राब कर सकता है……और दुनिया खामखाँ सिर होती घुमती है   

राम राम

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