एका-अग्नि: विजय की ह़ार




करण युद्ध मे पांडवों पर ऐसे टूट के पड़ा जैसे नई सरकार आते ही अफसरो पर टूट पड़ती है. तब गोविंद को लगा आज तो ये अर्जुन कि फ़ोटो दीवार पर लटका कर ही रहेगा तभी कृष्ण रथ लेकर भागे भीड़ मे छिपने के लिए.

वहा कृष्ण ने मिनटोस खाई और बुलाया घतोटकच को और बोले:

कृष्ण: “बेटा घतोटकच करण पगला गया है हमारी सेना को उठा उठा कर फैंक रहा है बचा ले हमें”. 


घतोटकच: अच्छा जी हम पर हमला.. अभी फैसला करता हूँ उनका. 

अभी 5 मिनट मे आया मैं !!! 

फिर जाते ही घतोटकच ने कौरवो को ऐसे पेला जैसे संभित पात्रा कांग्रेसियों को पेलता है. 

कौरवों कि हालत देख दुर्योधन करण के पास गया और बोला: 
“तू ही कर भाई कुछ नही सारे ही फ़्लैट आज डिलीवर हो जाऐंगे अपने” 

तभी युद्ध मे जोर से बम फटा और आग उठी. घतोटकच राख हो चुका था सारे पाडंव छाती पीट पीट कर रो रहे थे. 

करण भी माथा पकड़ कर बैठा था.

और कृष्ण जी महाराज मुह ढक कर खी खी कर रहे थे. 

इसी के साथ एका-अग्नि इस्तेमाल हो चुकि थी.



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