When I was born it was winter in the town People were gathered in the hope of the crown Then the sister came and made an announce she is an Angle from the heaven to the ground They all got shocked from the top to the down Yes I am liberal and liberation is my…
Category: Poetry
जाट आरक्षण
जाट आरक्षण (PDF) फेर आगे थम लेके बेडा नाटक खूब दिखाओगे रोला घाल क सडका पे घरा ने फेर जलाओगे लेरे गाड़ी लेरे किले रपिया की भी घाट नहीं जिद बेकार की होरी स ना लोड इसी कोई खास नहीं भाई बड़े थम समझो थोडा अड़े कोई किसे ते डरता ना जरुरत पूरी हो जा से…
फैन होए हां
फैन होय हां अंखा ने कटार मुख चन्न वरगा तेरी अध तकनी दे फैन होए हां इक तेरी बलिये नि संग मार गई कुज गल्ला दिया लाली दे नी मोहे होए हां हुए ने मुरीद तेरे चिट्टे सूट दे राता कालिया सी ज़ुल्फा च खोये होए हां बज दे ने…
सलाम ना आया
सलाम ना आया (PDF) थी गुफ़्तगू इक आने के उसकी ढल चला आफताब पर पैगाम ना आया चढ़ा था सुरूर मय खाने में थे हम पर सदियों से प्यासों का वो “जाम” ना आया खड़े थे कुचे में इक झलक ऐ दीदार को वो आये नज़र मिली पर…
ना चाहिये
ना चाहिए रपिये हो या ताकत का घणाजोर दिखाणा ना चाहिये कदे पासे उलटे पड़ जा से ज्यादा अकड़ में आणा ना चाहिये राज हो या हो यारी कोई हर किसे ते बताणा ना चाहिये रोला हो या प्यार कोई घरक्या ते छुपाणा ना चाहिये जमीन हो या गाय का कदे…
शहीद
शहीद PDF वो रोज धमाके सुनते है जीते हैं जंग के साये मेंवो खडे हुए हैं सीमा परले असला अपनी बाहों में गोलियों की बरसात मेंवो लाल लहू से नहाते हैंहोली हो या दिवाली होसब सीमा पर ही मनाते हैं इक आस जो घर पर जाने कीजो पल भर में धुल जाती…
भगत सिंह
भगत सिंह ये सपूत भारत माँ के अकड़ किसी की नहीं सहते सच्चे सूरमे पक्के देशभक्त भगवान भरोसे नहीं रहते मंजर अपनों की मौत वाला दौड़े आँखों में बन लाल लहु फिर हथियार उठाना पड़ता है तब होश ठिकाने नहीं रहते तू शेर है भारत माता का दुश्मन के घर घुस वार करे…
कहर बनाई
36 गामा में बस्ता तू एक शहर बनाई है 36 गामा में बस्ता तू एक शहर बनाई है के कहने ऊपर वाले के जमा कहर बनाई है देख के जिसने घी सा घल्जा बुझा हुया लट्टू भी जलजा खेतों खेत ने जाती तू एक नहर बनाई है रात अँधेरी पाछे चढती सुबह सी आई है तेरे…
बदल जाते है
बदल जाते है निकल जाये जब मतलब अपना लोगो के अकसर ख़्यालात बदल भी जाते है दौड़ते है हौसले जब हाथों की रगों में लकीरे, किस्मत और औकात बदल भी जाती है बदलने पड़ते है राह, राही, राहगीर भी मुश्किलों में मक़सद, मंजिल, भगवान बदल भी जाते है …
ना कोई क़यामत आईं है
इस हस्ते बस्ते शहर में कैसे गुमनामी छाई है सब उजड़ा उजड़ा लगता है क्या कहर सुनामी आयी है बह गए दिलो के अरमा सारे सब किस्मत की रुसवाई है है अपने हाथो शहर ये उजड़ा ना कोई क़यामत आईं है सालों बाद मिले है किस्मत इन अंजनी राहो में कहने…