जाट आरक्षण

फेर आगे थम लेके बेडा
नाटक खूब दिखाओगे
रोला घाल क सडका पे
घरा ने फेर जलाओगे
लेरे गाड़ी लेरे किले
रपिया की भी घाट नहीं
जिद बेकार की होरी स
 ना लोड इसी कोई खास नहीं
भाई बड़े थम समझो थोडा
अड़े कोई किसे ते डरता ना
जरुरत पूरी हो जा से पर
लालच का जी भरता ना
बस अर रेल जला के थम
यो कुण सा जोर देखाओगे  
जो नाम कमारे सेना में  
सब माट्टी में मिलवाओगे
मेंढक ये बारिश आले
इब नेता बन बन आवेंगे
फर्क बता के ज़ात पात का
भईया ने लडवावेंगे
बदला टेम स बदली चौधर
“दीप“ पहले आली बात नहीं
जो होया करते मान देश का
वे पहले आले जाट नहीं
सोच के देखो वो नज़ारा
के ओरा ते बतलाओगे
भड़के दंगे जले हरयाणा
अर थम आरक्षण पाओगे


   प्रदीप सोनी 

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