छोरा हो या छोरी हो घणा सर प ठाया सेधया करे बिचारा करके सांपा न जो दूध पिलाया सेधया करे यारी प्यारी रिश्तेदारी राज बताया सेधया करे घणी नफ़रत सेधे प्यार भी सेधे ग़ुस्सा इकरार भी सेधया करे सीधा माणस सेधे दुनिया वक्त की मार भी सेधया करे “दीप” बदलजा होले टेढ़ा सीधे न सब…
Category: Poetry
ऊपर वाला सगा किसी का नहीं
निकल रही है निकल ही जायगी बेशुमार हो रौनके ज़िन्दगी में बेशक कभी रुसवा किस्मते होंगी कभी वक्त की रुसवाई होगी कभी युद्ध खिलाफ़ अपने होगा कभी जंग दुनिया संग आई होगी आज कौन है यहाँ जो मुक्क्कम हुआ हो काश और अगर तो हर दिल का ठहरा क़िस्सा है बचके तो कौन जायगा…
सपने और हक़ीकत
सूरज़ रोज़ निकलता है रात अंधेरी से लड़कर आँखों मे सपने लिए हुए अरमानों के कंधे पर चढ़ कर हसरत जगमग उठती है मसतक पर तेज़ झलकता है क्यों वक़्त नही रूक जाता है नर ओढ़ वीरता चलता है पर जंग जीवन की अंनत रही पथ पथ पर उलझन आती है कायर को रही तोड गिरा बलशाली को तड़पती है रोज अंधेरे मे दिन के ये रुह बावरी फ़िरती है बिन मक़सद ज्यूँ चलती नौका जा अंजाने साहिल मिलती है काग़ज़ के टुकड़ों कि ख़ातिर अनमोल मिला वो बेच दिया जो वक़्त क़ीमती हीरा था जला आग सुलगती झोक दिया ये आज गया यू कल जाना दिन साल महीने ढल जाना जीवन के पथ रथ चल जाना जो मिला आज वो कल जाना आशा और निराशा कि छाया जीवन मे तार रहे कुछ मार वक़्त कि पड़ती है कुछ पैर कुल्हाड़ी मार रहे है काली घटा निराशा कि छिपी जिसमें किरण है आशा कि इस जीवन कि परिभाषा कि फ़सल खेत मे डाल रहे अब रोज के क़िस्सों का आलम कुछ दिल पर यू आ बैठा दीप कि हर रोज ही हस्ती उठती है हर रोज ही मरने की ख़ातिर …
ख्याल
जीवन में उम्मीद का होना बेहद जरुरी है दोस्त मगर उमीदों के रथ पर सवार मत होना ख्यालों के रास्ते अक्सर दीवारों में जा भिड़ते है अपने पंखो की जान पर ही आसमान छुआ जाता है अंत तो जीवन का मिटटी और राख़ ही है मगर दुनिया में भीड़ की है तो आसमान भी…
सफ़र
ऐ मेरे सफर के राहियों एक दिन ये सफर भी नहीं होगा और यह जिंदगी भी नहीं मैं इसलिए नहीं चलता कि मुझे तुम्हें दिखाना है मैं इसलिए चलता हूं कि ये रास्ता कुछ अंजाना है मिलेंगे तुमसे राही और तुमसे मुसाफिर भी मुझे तो बस हाथ मिलाना है और आगे बढ़ते जाना…
मेरे गुरु है नमन तुम्हे
दूर तलक था अँधियारा जब जीवन का आगाज हुआ अनजाना सफ़र अनजानी डगर मकसद जीवन का राज हुआ जो मिले आप तो मिला साथ किसी धुन का जैसे साज हुआ इस ज्ञान डगर पर चलने से मुझे जीने का अंदाज हुआ बन दीप गुरु जब आप जले तो रोशन ये संसार हुआ हे मेरे गुरु…
हम जोड़ेंगे
वो कहते है हम तोड़ेंगे ये बस्ता मुल्क हजार में तोड़ो धर्म पे तोड़े जात पे तोड़ो मजहब की हर बात पे तोड़ो तोड़ो इनको कर्मो पर और रंग भेद औकात पे तोड़ो जो टूटे से ना जुड़ पाए तुम इन्हें हर इक हालात पे तोड़ो हम कहते है हम…
ऐ मेरे खुदा
ऐ मेरे खुदा जा बैठा जो अम्बर पर तू क्यों नजरो से बचता है कही बेच ना दे बाजारों में क्या तू इंसा से डरता है ऐ मेरे खुदा जरा सामने आ मुझे कुछ बात करनी है वो खेतो में जो तपता है दिन रात ही मेहनत करता है औरो का जो पेट…
यारी
पीठ पे वार से अपनो की मार से बेईज्ज़ती भरे बाजार से इंसान घुट घुट मरता है लत शराब की भारी ने बढती उम्र बिमारी ने ना मुराद बेरोजगारी ने कई बर्बाद कर दिये कंजूस के हाथ में दगाबाज के साथ में फिजूल की बात में कुछ नहीं मिलता …