छोरा हो या छोरी हो घणा सर प ठाया सेधया करे बिचारा करके सांपा न जो दूध पिलाया सेधया करे यारी प्यारी रिश्तेदारी राज बताया सेधया करे घणी नफ़रत सेधे प्यार भी सेधे ग़ुस्सा इकरार भी सेधया करे सीधा माणस सेधे दुनिया वक्त की मार भी सेधया करे “दीप” बदलजा होले टेढ़ा सीधे न सब…
Day: October 15, 2020
तकरार: एक हरियाणवी कविता
भाई के गिले अर के शिकवे तू के बाता की बात करे बदले वक्त बदल जा माणस क्यू खामेखा तकरार करे जो गया वक्त वो बढ़िया था जो आणा वक्त वो बढ़िया स आछे भूंडे बीच जो कट जया वे जीवन की घडिया स आणी दुनिया जाणी दुनिया नदी का बहता पाणी दुनिया…