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ऊपर वाला सगा किसी का नहीं

Posted on June 8, 2020June 25, 2020
निकल रही है निकल ही जायगी
बेशुमार हो रौनके ज़िन्दगी में बेशक
कभी रुसवा किस्मते होंगी
कभी वक्त की रुसवाई होगी
कभी युद्ध खिलाफ़ अपने होगा
कभी जंग दुनिया संग आई होगी
 
आज कौन है यहाँ जो मुक्क्कम हुआ हो
काश और अगर तो हर दिल का ठहरा क़िस्सा है
बचके तो कौन जायगा यहाँ से
यही रहते इत्मिनान हो
तो वो जन्नत से कम है क्या  
 
हौंसले ही देंगे राह आगे जाने का
राह में वरना पीछे खीच रहे राह चलते है
पा जायंगे मंजिल हालातों से टकरा कर के
जैसे कीचड़ के आँगन में फूल कमल का खिलता है  
 
भरोसा रखो उस नीली छत वाले पर
मगर उसी के भरोसा रह मत जाना
अरे मान लिया वो है तो सभी का  
मगर बंधू सगा तो वो किसी का नहीं होता

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