दूर तलक था अँधियारा जब जीवन का आगाज हुआ अनजाना सफ़र अनजानी डगर मकसद जीवन का राज हुआ जो मिले आप तो मिला साथ किसी धुन का जैसे साज हुआ इस ज्ञान डगर पर चलने से मुझे जीने का अंदाज हुआ बन दीप गुरु जब आप जले तो रोशन ये संसार हुआ हे मेरे गुरु…
दूर तलक था अँधियारा जब जीवन का आगाज हुआ अनजाना सफ़र अनजानी डगर मकसद जीवन का राज हुआ जो मिले आप तो मिला साथ किसी धुन का जैसे साज हुआ इस ज्ञान डगर पर चलने से मुझे जीने का अंदाज हुआ बन दीप गुरु जब आप जले तो रोशन ये संसार हुआ हे मेरे गुरु…