थी गुफ़्तगू इक आने के उसकी
ढल चला आफताब पर पैगाम ना आया
चढ़ा था सुरूर मय खाने में थे हम
पर सदियों से प्यासों का वो “जाम” ना आया
खड़े थे कुचे में इक झलक ऐ दीदार को
वो आये नज़र मिली पर सलाम ना आया
पर हसरतों वाला दिली मुकाम ना आया
उसका था शहर और उसकी अदालते
हम हुए हलाक उसे इल्जाम ना आया
“दीप” हुआ बदनाम सारे इस जंहा में
पर उस बेवफा का कही नाम ना आया
प्रदीप सोनी
Yahi haal namara h dost
bahut khoob likha hai apne.
http://sabhindime.com/krishana-love-shayari-messages-hindi/
बहुत बहुत शुक्रिया कलावती जी …. 🙂
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाए.