चलो भाई जिन्दगी के एक और साल की शाम हो चुकीं है बोहोत से नये दोस्त – बोहोत सी यात्रा – बोहोत से नये तजुर्बे – बोहोत सी सीख के साथ इस साल में बोहोत कुछ ऐसा था जिसे सारी उम्र नहीं भुलाया जा सकता. वैसे तो बोहोत से वाक्यात रहे जिनका जिक्र किया जा सकता है पर अभी…
Month: December 2016
सलाम ना आया
सलाम ना आया (PDF) थी गुफ़्तगू इक आने के उसकी ढल चला आफताब पर पैगाम ना आया चढ़ा था सुरूर मय खाने में थे हम पर सदियों से प्यासों का वो “जाम” ना आया खड़े थे कुचे में इक झलक ऐ दीदार को वो आये नज़र मिली पर…