36 गामा में बस्ता तू एक शहर बनाई है
36 गामा में बस्ता तू
एक शहर बनाई है
के कहने ऊपर वाले के
जमा कहर बनाई है
देख के जिसने घी सा घल्जा
बुझा हुया लट्टू भी जलजा
खेतों खेत ने जाती
तू एक नहर बनाई है
रात अँधेरी पाछे
चढती सुबह सी आई है
तेरे करके बालक पढते ना
घर आल्या ते भी डरते ना
मर जाणी तेरे पीछे
इनकी रोज लड़ाई है
लागे कईया ने मरेगी
इसी आफत आई है
तेरे पीछे कोई बुलेट कढवारा
नए लत्ते कोई घाल के आरा
भरी दुप्हेरी सीखे इंगलिश
सुबहे शाम ने जिम में जारा
बैरण और बता तू क्योंकर चाहवेगी
इब के देसी बालका धोरे डांस करावेगी
सरकार कित्ते तन्ने बैन करा दे
रूप तेरे पे टैक्स लगा दे
गाँम सारे में रुक्का पड़जया
भरे शहर दंगे करवा दे
पहर गुलाबी सूट जद म्हारी ते जावेगी
लागे जिगरी यारा में ही लट्ठ बजवावेगी.
‘दीप’ तो झूठ बताता ना
हर एक ते आँख मिलाता ना
पर तन्ने देख के लागे ज्यु
लांखा में एक बनाई है
बोले मीठी दीखे सुथरी
दिल की नेक बनाई है
प्रदीप सोनी