निकल जाये जब मतलब अपना
लोगो के अकसर ख़्यालात बदल भी जाते है
दौड़ते है हौसले जब हाथों की रगों में
लकीरे, किस्मत और औकात बदल भी जाती है
बदलने पड़ते है राह, राही, राहगीर भी
मुश्किलों में मक़सद, मंजिल, भगवान बदल भी जाते है
जाते नहीं कुछ लोग भुलाये
चाहे दिन, महीने चाहे साल बदलते जाते है
बदलते नहीं ‘दीप‘ जो खास हुआ करते है
रना साथ समय के मौसम, अपने और सरकार
बदल भी जाती है