इस हस्ते बस्ते शहर में
कैसे गुमनामी छाई है
सब उजड़ा उजड़ा लगता है
क्या कहर सुनामी आयी है
बह गए दिलो के अरमा सारे
सब किस्मत की रुसवाई है
है अपने हाथो शहर ये उजड़ा
ना कोई क़यामत आईं है
सालों बाद मिले है किस्मत
इन अंजनी राहो में
कहने वाला हुआ है क्या कुछ
बीते हुए जमानों में
गुजरा वक़्त है गुज़रे रिश्ते
गुजरे यार पुराने है
धीरे धीरे गुजर गया सब
अब तो सब अफ़साने है
पहले वाला नूर नहीं अब
पहले वाला नूर नहीं अब
आँखों में तन्हाई है
खाकर कसम बता देना
ये किस से मिली जुदाई है
एक ख़्वाब बसा था आँखों में
और आती जाती सांसो में
टूटा मज़बूर हालातों में
रही इश्क़ सजा में पाई हैं
है अपने हाथो शहर ये उजड़ा
ना कोई क़यामत आईं है