36 गामा में बस्ता तू एक शहर बनाई है 36 गामा में बस्ता तू एक शहर बनाई है के कहने ऊपर वाले के जमा कहर बनाई है देख के जिसने घी सा घल्जा बुझा हुया लट्टू भी जलजा खेतों खेत ने जाती तू एक नहर बनाई है रात अँधेरी पाछे चढती सुबह सी आई है तेरे…
Month: September 2016
बदल जाते है
बदल जाते है निकल जाये जब मतलब अपना लोगो के अकसर ख़्यालात बदल भी जाते है दौड़ते है हौसले जब हाथों की रगों में लकीरे, किस्मत और औकात बदल भी जाती है बदलने पड़ते है राह, राही, राहगीर भी मुश्किलों में मक़सद, मंजिल, भगवान बदल भी जाते है …
ना कोई क़यामत आईं है
इस हस्ते बस्ते शहर में कैसे गुमनामी छाई है सब उजड़ा उजड़ा लगता है क्या कहर सुनामी आयी है बह गए दिलो के अरमा सारे सब किस्मत की रुसवाई है है अपने हाथो शहर ये उजड़ा ना कोई क़यामत आईं है सालों बाद मिले है किस्मत इन अंजनी राहो में कहने…
जो दौर गवाँए बैठे है
जो दौर गवाँए बैठे है थे शौक नये अरमान बहुत बसते थे दिल में ख्वाब बहुत बचपन वाले दिनों का वो इतवार भुलाए बैठे है आया फिर से याद वही जो दौर गवाँए बैठे है कभी कच्चे पक्के रास्तो में कभी रेल बसों के धक्को में चार जून की रोटी खातिर…
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नाम प्रदीप सोनी और घर वाले प्यार से ‘गोलू’ बुलाते है. यार दोस्तों ‘सोनी–मोनी–टोनी’ या जो नाम हत्थे चढ़ जाये वही. हरियाणा के शहर रेवाड़ी में अपना घर पाया जाता है. परिवार में 4 लोग है. फादर साहब का अपना बिज़नस है. माता जी गृह मंत्रालय संभालती है. और छोटा भाई अभी कॉलेज जाता है. जिंदगी…