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Year: 2016

भड़कता शोला – 2016

Posted on December 26, 2016

चलो भाई जिन्दगी के एक और साल की शाम हो चुकीं है बोहोत से नये दोस्त – बोहोत सी यात्रा – बोहोत से नये तजुर्बे – बोहोत सी सीख  के साथ इस साल में बोहोत कुछ ऐसा था जिसे सारी उम्र नहीं भुलाया जा सकता. वैसे तो बोहोत से वाक्यात रहे जिनका जिक्र किया जा सकता है पर अभी…

सलाम ना आया

Posted on December 15, 2016June 7, 2020

        सलाम ना आया (PDF)   थी गुफ़्तगू इक आने के उसकी ढल चला आफताब पर पैगाम ना आया   चढ़ा था सुरूर मय खाने में थे हम पर सदियों से प्यासों का वो “जाम” ना आया   खड़े थे कुचे में इक झलक ऐ दीदार को वो आये नज़र मिली पर…

ना चाहिये

Posted on October 24, 2016June 4, 2020

    ना चाहिए रपिये हो या ताकत का घणाजोर दिखाणा ना चाहिये कदे पासे उलटे पड़ जा से ज्यादा अकड़ में आणा ना चाहिये   राज हो या हो यारी कोई हर किसे ते बताणा ना चाहिये रोला हो या प्यार कोई घरक्या ते छुपाणा ना चाहिये   जमीन हो या गाय का कदे…

शहीद

Posted on October 16, 2016June 7, 2020

    शहीद PDF    वो रोज धमाके सुनते है जीते हैं जंग के साये मेंवो खडे हुए हैं सीमा परले असला अपनी बाहों में गोलियों की बरसात मेंवो लाल लहू से नहाते हैंहोली हो या दिवाली होसब सीमा पर ही मनाते हैं इक आस जो घर पर जाने कीजो पल भर में धुल जाती…

भगत सिंह

Posted on October 8, 2016June 7, 2020

भगत सिंह  ये सपूत भारत माँ के अकड़ किसी की नहीं सहते सच्चे सूरमे पक्के देशभक्त भगवान भरोसे नहीं रहते    मंजर अपनों की मौत वाला दौड़े आँखों में बन लाल लहु फिर हथियार उठाना पड़ता है तब होश ठिकाने नहीं रहते   तू शेर है भारत माता का दुश्मन के घर घुस वार करे…

कहर बनाई

Posted on September 30, 2016

36 गामा में बस्ता तू एक शहर बनाई है 36 गामा में बस्ता तू एक शहर बनाई है के कहने ऊपर वाले के जमा कहर बनाई है देख के जिसने घी सा घल्जा बुझा हुया लट्टू भी जलजा खेतों खेत ने जाती तू एक नहर बनाई है रात अँधेरी पाछे चढती सुबह सी आई है तेरे…

बदल जाते है

Posted on September 22, 2016June 4, 2020

बदल जाते है   निकल जाये जब मतलब अपना    लोगो के अकसर ख़्यालात बदल भी जाते है        दौड़ते है हौसले जब हाथों की रगों में    लकीरे, किस्मत और औकात बदल भी जाती है        बदलने पड़ते है राह, राही, राहगीर भी    मुश्किलों में मक़सद, मंजिल, भगवान बदल भी जाते है …

ना कोई क़यामत आईं है

Posted on September 14, 2016June 4, 2020

    इस हस्ते बस्ते शहर में कैसे गुमनामी छाई है सब उजड़ा उजड़ा लगता है क्या कहर सुनामी आयी है   बह गए दिलो के अरमा सारे सब किस्मत की रुसवाई है है अपने हाथो शहर ये उजड़ा ना कोई क़यामत आईं है   सालों बाद मिले है किस्मत इन अंजनी राहो में कहने…

जो दौर गवाँए बैठे है

Posted on September 6, 2016June 4, 2020

    जो दौर गवाँए बैठे है   थे शौक नये अरमान बहुत बसते थे दिल में ख्वाब बहुत बचपन वाले दिनों का वो इतवार भुलाए बैठे है   आया फिर से याद वही जो दौर गवाँए बैठे है   कभी कच्चे पक्के रास्तो में कभी रेल बसों के धक्को में चार जून की  रोटी खातिर…

About Author

Posted on September 1, 2016

नाम प्रदीप सोनी और घर वाले प्यार से ‘गोलू’ बुलाते है. यार दोस्तों ‘सोनी–मोनी–टोनी’ या जो नाम हत्थे चढ़ जाये वही. हरियाणा के शहर रेवाड़ी में अपना घर पाया जाता है. परिवार में 4 लोग है. फादर साहब का अपना बिज़नस है. माता जी गृह मंत्रालय संभालती है. और छोटा भाई अभी कॉलेज जाता है. जिंदगी…

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